लेखनी कहानी - नई जिंदगी नई उम्मीद
नई जिंदगी, नई उम्मीद
जीने की चाह किसको नही होती। मगर जीवन जीना भी एक कला है, जो हर किसी को नही आती। विशुद्ध के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। 18 वर्ष का नवयुवक जो अपनी जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है।
अपने माता पिता की इकलौती संतान। जो शायद ज्यादा लाद दुलार के कारण जिद्दी हो गया और जिसका खामियाजा आज इस हालत में उठाना पड़ रहा है। मना करने के बाद भी विशुद्ध अपने दोस्तों के साथ घूमने निकल गया, पहाड़ों की और। ऐसा नहीं था कि वो पहली बार बाहर घूमने गया हो मगर इस बार वो अपने मां पापा की बात को अनसुना करके आया था।
दोस्तों के साथ ना जाने कब अचानक से गाड़ी सामने आती गाड़ी से टकराई और एक भयानक हादसा हो गया। एक दोस्त तो मौके पर ही चल बसा। बाकी दो और दोस्तों के साथ उसे हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। ज्यादा चोट लगने के कारण विशुद्ध का खून भी ज्यादा बह गया था। डॉक्टर अपनी पूरी कोशिश कर रहे थे उसे बचाने की।
बुरी तरह से घायल विशुद्ध की मानसिक चेतना के भीतर गहरी उथल पुथल मची हुई थी। इतनी गंभीर हालत में उसे अपने मां पापा का चहरा बार बार याद आ रहा था। उसे खुद पर गुस्सा भी आ रहा था कि कैसे उसने उनकी बात को अनसुना कर दिया। अगर उसे कुछ हो गया तो उन्हें कौन संभालेगा? इसी उधेड़बुन में वो बेहोश हो गया।
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जब उसको होश आया तब उसकी मां उसकी सिरहाने बैठी थी। उसके पापा भी वहीं उनके पास बैठे थे। दोनों ने उसके हाथ को अपने हाथ में पकड़ रखा था। विशुद्ध कुछ कहता, उसके पहले ही उसकी मां बोलीं," कुछ नही बोलो ,विशुद्ध! तुम्हे आराम की जरूरत है। तुम ठीक हो जाओ, उसके बाद बात करेंगे, मेरे बेटे।" उसके पापा ने भी उसकी तरफ देखते हुए कहा," भगवान की कृपा से तुम खतरे से बाहर हो बेटा, बस अब तुम जल्दी ठीक हो जाओ।"
विशुद्ध रूआंसा होता हुआ बोला, "मां पापा, मुझे माफ कर दो। मैं आपकी बात को अनसुना कर दोस्तों के साथ चला गया और ये सब हो गया। आप दोनों को बहुत तकलीफ दी है मैंने।आगे से मैं ऐसा कभी नहीं करूंगा, कभी नहीं।"
मां ने विशुद्ध के सर को सहलाते हुए बोला, "विशुद्ध, जो होना होता है ना बेटा, वो होकर ही रहता है। बस हमें सावधानी रखनी होती है।देखो कल से नया साल शुरू हो रहा है, तो वादा करो कि अब से तुम हर काम पूरी सावधानी के साथ करोगे, और अपनी सेहत का पूरा ध्यान रखोगे। एक बात तो तुम भी मानते हो ना कि हमारी जिंदगी भी तुमसे जुड़ी हुई है, अगर तुम्हे कुछ भी हो जाता तो हम क्या करते? हम तो जीते जी मर जाते। मगर भगवान ने हमारी विनती सुन ली और तुम्हे वापस लौट दिया।" ऐसा बोल मां की आंखों में आंसू आ गए और पापा भी अपने आंसुओं को ना रोक सके।
विशुद्ध उन दोनों के हाथों को अपने हाथ में लेकर बोला, " मां पापा, मैं आगे से कुछ भी ऐसा बिलकुल नहीं करूंगा, जिससे आपको तकलीफ पहुंचे। भगवान ने मुझे ये दोबारा जीवन इसीलिए दिया ताकि में आपकी उम्मीदों पर खरा उतर सकूं। मां पापा, मैं आप दोनों से वादा करता हूं कि आने वाला साल और हमेशा के लिए मैं आपकी बात को अनसुना नही करूंगा। समझने की पूरी कोशिश करूंगा और आपकी सहमति की इंतजार करूंगा। इस बार मुझे माफ कर दो।"
विशुद्ध, एक नई उम्मीद और नई जिंदगी के साथ अपने माता पिता के साथ हॉस्पिटल से घर की ओर निकल गया।
प्रियंका वर्मा
1/1/23
प्रिशा
04-Feb-2023 10:45 PM
Very nice
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भानुप्रिया सिंह
04-Jan-2023 07:21 PM
बहुत सुंदर 👌
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shweta soni
03-Jan-2023 08:57 PM
👌👌👌
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